27 जून 2025 को भारत के प्रमुख धार्मिक उत्सवों में से एक, जगन्नाथ रथ यात्रा, देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं को पुरी, ओडिशा की ओर आकर्षित करेगी। यह पवित्र उत्सव भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र, और बहन सुभद्रा की भव्य रथ यात्रा का प्रतीक है। न्यूज़18 के अनुसार, इस दिन द्वितीया और तृतीया तिथि (शुक्ल पक्ष) होगी, और सूर्योदय सुबह 5:25 बजे और सूर्यास्त शाम 7:23 बजे होगा। ओडिशा और मणिपुर में इस अवसर पर बैंक अवकाश रहेगा, और सप्ताह के साथ मिलाकर 3 दिन तक बैंक बंद रहेंगे।
पुरी की रथ यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है। इस आर्टिकल में हम रथ यात्रा के इतिहास, 2025 की तैयारियों, पुरी के उत्साह को कवर करेंगे

जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास और महत्व
जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास हजारों साल पुराना है। पुरी का जगन्नाथ मंदिर, 12वीं सदी में गंग वंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंग द्वारा बनवाया गया, जो विश्व के सबसे पवित्र तीर्थ स्थानों में से एक है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ (कृष्ण का एक रूप) हर साल अपने भाई-बहन के साथ गुंडिचा मंदिर की यात्रा पर निकलते हैं। यह यात्रा उनके भक्तों को दर्शन और आशीर्वाद का अवसर देती है।
रथ यात्रा का धार्मिक महत्व स्कंद पुराण और पद्म पुराण में भी वर्णित है। यह उत्सव भक्ति, एकता, और समर्पण का प्रतीक है। पुरी की सड़कों पर भक्ति का सागर उमड़ेगा।” यह उत्सव न केवल हिंदुओं, बल्कि विभिन्न समुदायों को एकजुट करता है।
जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 की रथ यात्रा में कई खास बातें हैं:
तारीख: 27 जून 2025, शुक्ल पक्ष की द्वितीया और तृतीया तिथि।
बैंक अवकाश: ओडिशा और मणिपुर में 27 जून को बैंक बंद रहेंगे। वीकेंड (28-29 जून) के साथ 3 दिन का अवकाश होगा।
पुरी में तैयारियाँ: ओडिशा सरकार ने सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के लिए 5000 पुलिसकर्मी तैनात किए हैं। The Hindu के अनुसार, 200 CCTV कैमरे और ड्रोन निगरानी करेंगे।
जगन्नाथ पुरी मे रथ यात्रा की भव्यता:
पुरी की रथ यात्रा विश्व की सबसे बड़ी रथ यात्राओं मे से एक है। जिसमे तीन विशाल रथ बनाया जाता है- नंदीघोष (जगन्नाथ), तलध्वज (बलभद्र) और देवदलन (सुभद्रा) का रथ निकाला जाता है, जिसको भक्तो के द्वारा खींचा जाता है। हर साल रथ को नए सिरे से बनाया जाता है। जिसमें नीम के लकड़ी का प्रयोग किया जाता है।
जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 अगले 12 दिनों तक चलेगा, फिर इस यात्रा का समापन 8 जुलाई 2025 को नीलाद्रि विजय के साथ होगा। फिर भगवान श्री जगन्नाथ पुन: अपने मंदिर मे विराजमान होंगे। लेकिन जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन 12 दिन तक होता है। और इस यात्रा की तैयारियां महीनो पहले से शुरू हो जाती हैं। इस रथ यात्रा के दौरान कई धार्मिक अनुष्ठान और विशेष कार्यक्रम किए जाते हैं।
भारत मे इस दिन को आँख खोलने का त्योहार भी कहा जाता है। क्यूकी इस मंदिर मे मौजूद सभी मूर्तियों की आंखो रंगा जाता है। शोधकर्ता भास्कर मिश्रा के मुताबिक- स्नान अनुष्ठान के बाद देवता बीमार पड़ जाते हैं, जिससे वें भक्तों के सामने प्रकट नही होते हैं।
ओड़ीशा और मणिपुर बैंक अवकाश:
प्रत्येक वर्ष के भांति इस साल भी जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान ओड़ीशा और मणिपुर मे सभी बैंक 4 दिन तक बंद रहेंगे। इस दौरान सभी कर्मचारी इस यात्रा का पर्व मनाएंगे। जो इन दोनों राज्यों मे धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण हैं। इस अवसर पर आरबीआई के पब्लिक holiday लिस्ट के अनुसार इन राज्यों मे बैंकिंग सेवाएँ बंद रहती है।

रथों की विशेषताएँ:
नंदीघोष: 45 फीट ऊँचा, 16 पहिए, लाल-पीले कपड़े।
तलध्वज: 44 फीट ऊँचा, 14 पहिए, लाल-हरे कपड़े।
देवदलन: 43 फीट ऊँचा, 12 पहिए, लाल-काले कपड़े।
मार्ग: जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक 3 किमी की यात्रा।
श्रद्धालु: हर साल 10-15 लाख लोग शामिल होते हैं। 2025 में 20 लाख से ज्यादा की उम्मीद।
सांस्कृतिक एकता: हिंदू, जैन, और सिख समुदाय एक साथ उत्सव मनाते हैं।
आर्थिक प्रभाव: पुरी में होटल, दुकानें, और स्थानीय व्यापारियों को लाखों का कारोबार। Times of India के अनुसार, 2025 में ₹500 करोड़ से ज्यादा का व्यापार अनुमानित।
पर्यटन बूस्ट: विदेशी पर्यटक पुरी, कोणार्क, और भुवनेश्वर के मंदिरों की यात्रा करते हैं।