जर्मनी और अमेरिका के बीच कुछ अच्छी खबर नहीं है, ये दावा खुद जर्मनी की सरकार ने किया है और बताया है की हमारे बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। लेकिन अमेरिकी सैन्य ठिकानो के आसपास रहने वाले जर्मन बताते हैं कि दोनों देशों के बीच येतिहासिक रूप से मजबूत संबंध बरकरार हैं और रहेंगे।
अमेरिका ने जब से डोनाल्ड ट्रम्प को राष्ट्रपति कि बागडोर सौंपी हैं तब से अमेरिका और जर्मनी के बीच तनाव और तेज हो गया है । ट्रम्प सरकार कि नई नीतियाँ जैसे- व्यापार टैरिफ और विदेश नीति मे बदलाव इस तनाव के मुख्य कारण हैं ।
आज हम आपको बताएँगे कि आखिर अमेरिका और जर्मनी के बीच जारी तनाव के मुख्य कारण और पृष्टिभूमि क्या हैं और इसकी वजह से क्या प्रभाव पड़ सकता है या क्या पड़ रहा है ?
अमेरिका- जर्मनी के सम्बन्धों मे तनाव कि वजह:

एक रिपोर्ट के अनुसार जर्मनी कि आधिकारिक बयान मे अमेरिका के साथ सम्बन्धों में आचनक तनाव उत्पन्न हो गया है । इसकी वजह ट्रम्प प्रशासन कि व्यापार और रक्षा नीतियों को बताया जा रहा है ।
दूसरी तरफ जर्मनी में अमेरिकी सैन्य ठिकानों के आस पास जैसे- रैमस्टीन एयर बेस के पास रहने वाले निवासियों ने बताया कि दोनों देशों के बीच कोई तनाव पूर्ण स्थिति नहीं है और ये भी बताया कि दोनों देशों के बीच और भी मजबूत समन्धों कि उम्मीद है।
अमेरिका और जर्मनी के बीच तनाव 2025 मे ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल कि शुरुआत के साथ शुरू हुआ, विशेष रूप से फरवरी और अप्रैल मे लागू किए गए टैरिफ के बाद। जर्मनी यूरोप का सबसे बड़ा आर्थिक व्यापारी है, जो अमेरिका के द्वारा लगाए नीतियों से प्रभावित हुआ है।
अमेरिका ने बदले व्यापारिक नियम-
- ट्रम्प सरकार ने 2 अप्रैल 2025 को सभी आयातों पर 10% का आधारभूत टैरिफ और आटोंमोबाइल , स्टील, और एल्यूमीनियम पर 25% टैरिफ लागू किया।
- अमेरिका में जर्मनी का निर्यात लगभग 4% GDP का हिस्सा है। जिससे ये टैरिफ बहुत ही महत्वपूर्ण और संवेदनशील है।
- जर्मनी मे 34000 से भी अधिक अमेरिकी सैनिक तैनात हैं।जो यूरोप में सबसे बड़ी सैन्य उपस्थिती है।
प्रमुख व्यक्ति:
डोनाल्ड ट्रम्प: जिनकी अमेरिका फर्स्ट नीति और टैरिफ की रणनीति ने इस तनाव को और भी बड़ा बना दिया ।

फ्रेडरिक मर्ज: जो मार्च 2025 के बाद सत्ता मे आए है और जर्मनी के नए चांसलर भी है, वे इस तनाव को कम करने की लगातार कोशिश कर रहें है।

जेडी वेंस :ये अमेरिका के नए उप राष्ट्रपति हैं। इनके द्वारा म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (फरवरी 2025) को एक भाषण दिया गया था। जिसके बाद जर्मनी मे एक नया विवाद शुरू हो गया ।
उर्सुला वान डेर लेयेन: ये यूरोपीय देश की आयोग अध्यछ हैं, जो लगातार अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताओं का नेत्रत्व कर रहीं हैं।

दोनों देशो के बीच तनाव ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल से शुरू हुआ। जिसमें अमेरिका ने व्यापार और रक्षा योगदान पर सख्त रुख अपनाया है। ट्रम्प ने जर्मनी और अन्य नाटों सहयोगियों से रक्षा खर्च को 5% तक बढ़ाने की मांग की है। जबकि ये खर्च पहले 2% ही था। जिससे दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ने लगा।
अमेरिका- जर्मनी का ऐतिहासिक इतिहास:
द्वतीय विश्वयुद्ध से अमेरिका और जर्मनी मे संबंध बहुत ही मजबूत रहें है, विशेष रूप से जब से नाटो (1949 मे स्थापित) किया गया। जर्मनी ने अपनी सुरक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भरता बनाए रखी। इसमें यूरोप मे सैन्य उपस्थिती और परमाणु हथियारों की तैनाती शामिल है।
इसके बदले जर्मनी ने अमेरिका को आर्थिक और राजनयिक रूप से समर्थन प्रदान किया। हालांकि ट्रम्प के पहले कार्यकाल (2017-2021) मे भी दोनों देशो के बीच तनाव देखा गया। और तब भी तनाव मुख्य रूप से व्यापार टैरिफ और जर्मनी के नाटों खर्च ही रहा है ।
2022 मे रूस- यूक्रेन बीच मे जब युद्ध शुरू हुआ तो जर्मनी ने रूस पर ऊर्जा निर्भरता कम कर दी। और अमेरिका पर अपनी निर्भरता बढ़ा दी और आर्थिक वृद्धि के लिए प्रमुख साझेदार बना लिया ।
फिर 2024 तक अमेरिका जर्मनी का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया, जिसने चीन को भी पीछे छोड़ दिया। हालांकि ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल ने इस निर्भरता को चुनौती दी है। क्यूकी ट्रम्प की ” अमेरिका फ़र्स्ट” नीति ने वैश्विक व्यापार और सुरक्षा व्यवस्था को अस्थिर कर दिया है।
ट्रम्प की नीति:
टैरिफ: 2 अप्रैल को ट्रम्प ने सभी आयतों पर 10% का टैरिफ और आटोमोबाइल, स्टील, और एल्यूमीनियम पर 25% टैरिफ लागू किया । जिसमें जर्मनी बुरी तरह प्रभावित हुआ क्यूकी जर्मनी विसेश रूप से आटोमोबाइल क्षेत्र मे है।
रक्षा माँग: ट्रम्प ने नाटों सहयोगियों से रक्षा खर्च को 5% तक बढ़ाने की माँग की है। जिसमे जर्मनी ने 3.5% प्रत्यछ और 1.5% बुनियादी तौर पर स्वीकार किया है।
विदेश नीति मे बदलाव: ट्रम्प ने रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध में मध्यस्ठा की कोशिश की, लेकिन सभी यूरोपीय सहयोगियों को बातचीत करने के लिए बुलाया लेकिन जर्मनी को शामिल नही किया जिससे तनाव और बढ़ गया।
IEEPA का उपयोग: ट्रम्प ने इंटरनेशनल इमेरजेंसी इकनॉमिक पावर्स एक्ट(IEEPA) का उपयोग कर टैरिफ को लागू कर दिया। अमेरिका की अदालतों ने असंवैधानिक करार कर दिया, लेकिन अपील के कारण ये टैरिफ अभी भी लागू हैं।
जर्मनी की स्थिति:
जर्मनी अभी 2025 मे आर्थिक और राजनयिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। 2023 और 2024 मे जर्मनी मे शून्य आर्थिक वृद्धि हुई और 2025 मे भी शून्य आर्थिक का अनुमान जर्मनी ने लगाया है।

जिसका मिखय कारण अमेरिकी टैरिफ, अधिक ऊर्जा लागत और नौकरशाही बधाएं हैं। मार्च 2025 मे हुए चुनावों के बाद, फेडरिक मर्ज के नेत्रत्व मे नई सरकार ने आर्थिक सुधारों पर ध्यान केन्द्रित किया।
आगे आपको क्या लगता है, अमेरिका और जर्मनी के बीच तनाव कम होने की संभावना है या नही ? कमेन्ट मे जरूर बताएं